एक teenager से कैसे behave करें ?
एक teenager का साथ parents के लिए जिन्दगी का बेस्ट टाइम होता है। यह टाइम जिंदगी की सबसे बेहतरीन यादें लाता है।
कितने parents यह कह पाते हैं ? बहुत कम। ऐसा क्यूँ है ? बहुत सारे parents को यही बताया जाता है कि बड़े होते teenager कुछ ऐसे बन जाएंगे जो parents की समझ और सोच से बाहर होगा। वो ऐसे बन जाएंगे जो पेरेंट्स को पसंद नहीं आएगा। जाने अनजाने में पेरेंट्स की teenager से एक्सपेक्टेशंस ऐसी हो जाती है , जो parents बच्चों से बयान भी नहीं कर पाते। बढ़ते बच्चे खासकर teenagers , अपने पेरेंट्स की expectations को जान नहीं पाते। वो clues ढूढ़ते रहते हैं कि उन्हें क्या बनना है और कैसे behave करना है। इस confusion और असमंजस में पूरा माहौल बिगड़ता रहता है।
adolescence एक teenager की life का वह समय है ,जब वह लाइफ की discovery करता है। उसके लिए असली दुनिया
में नए नए कदम होते हैं। उस समय हम पेरेंट्स उनकी उड़ान देखकर अनुमान लगाते है कि वह क्या बनना चाहता है। एक adult बनने की journey के हम witness होते हैं। इस समय एक बेटा gentleman बनने को अग्रसर है और एक बेटी बहुत ही gorgeous एंड graceful woman में तब्दील हो जाती है। यह वो चमत्कार है जिसके हम गवाह होते हैं। इस वक़्त पर हम दुनियादारी और youth के जोश की जंग देखते हैं।
यहाँ पर देखने का चश्मा या नजरिया अगर बदला जाये तो आपके और बच्चों के relationship में एक दोस्ती की शुरुआत होती है। अगर यह दोस्ती की नींव मजबूती से रखी जब Teenager को एक platform मिलता है जहाँ वह adolescence की mystery के किसी भी प्रश्न को आपसे पूछ सकता है। adolescence तो बदलाव लाएगा ही। असली सवाल है कि कितने teenager के पास सपोर्ट सिस्टम है। अगर आप अपने जवानी के दिन याद करो , तो आपको एहसास होगा की guidance की कितनी जरुरत होती है।
यह कुछ बातों का अगर ध्यान रखा जाये तो यह सफर बहुत बढ़िया रहेगा
१. unconditional love .. बिना शर्त का प्रेम
यह वह समय है , जब आपका unconditional love आपके बच्चे की long term इमोशनल security की foundation रखेगा। आप अपने बच्चे को तीन चार साल की उम्र से अच्छे से जानते हैं। आपको उसकी values और संस्कार मालुम है। उसका passion , sense of humour , skills , जनून, आपको मालूम है। प्रेम का मतलब अपने बच्चे को जैसे हैं वैसे देखने में है , ना कि जैसे हम expect करते हैं। उसके temporary उतर चढ़ाव में अपने संयम रखना है।
२ False high expectations …. गलत उम्मीदें लगाना
अगर हम बच्चों के marks या grades से उसकी growth को देखेंगे , तो बच्चे को कहीं यह एहसास आने लगता है कि अगर वह कम marks लाया तो वो आपकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है। वो एक human being है , horse नहीं। इस तरह उसकी moral development पर बहुत असर हो सकता है। हम उनसे मेहनत की उम्मीद जरूर रख सकते हैं। हमें उनके चरित्र निर्माण की expectation जरूर रखनी चाहिए।
३ Seeking attention
बच्चों को छोटे होते ही हमारी attention की आदत होती है। इतने सालों की आदत जाती नहीँ है। अगर teenage में बच्चों से डिस्टेंस बन जाये तो बच्चे हमें मिस करते हैं। वह किसी भी तरीके से हमारा ध्यान अपनी तरफ खींचेंगे। यहाँ इस बात का ध्यान रहे की अपनी अपनी समझ से बच्चे कुछ भी हरकत कर सकते हैं so ignore anything stupid . कई बार बच्चे वही करते हैं ,जो हमें पसंद नहीं है।
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